गंगोत्तरवर क्षेत्र मनोहर भाशित कृष्णमृदाक्षेत्रम् |
गाजीपुर मण्डलेसु - शोभित सुखडेहरी एकः ग्रामम् ||
प्राचिर्प्रवहतु विद्यागीता प्राथमिक विद्यालय |
वेदनिनादं घण्ट - घण्टिका बाजति नित्य शिवालय ||
शस्यसमृद्धम् क्षेत्रं यश्च कृषकजनानां आनंदम् |
गायतिगीतामृतरव - वाणी वसंतोत्सवम् फागम् ||
गंगांचल वर क्षेत्र मनोहर भाशित सुखडेहरी ग्रामम् ||१||
रंगगुलालमबीर विलेपित जनः नदन्ति ललामम् |
झांझ - मृदंग बजावत - गावत होली गीत निकामम् ||
कुर्वन्ति कोलाहल बालः सर्वे पदान्तस्य प्रकामम् |
सम्प्रति सर्वसमिल्यं गीतम् गायन्ति ठाकुर धामम् ||
करईलेषु वर पावन क्षेत्रं भाशित सुखडेहरी ग्रामम् ||२||
पल्लव - लसिता निबिड़ - बनाली रुचिरं नव - परिधानम् |
विमल सलीलं सरसिज विकसति वापि - कुण्ड - तड़ागम् ||
पूर्वोत्तरवर काली मन्दिर अत्र सरोवर तीरम् |
उपवन यत्र मनोहर नामधेयेषु 'खुसबगीया' बागम् ||
करईलेषु वर पावन क्षेत्रं भासित सुखडेहरी ग्रामम् ||३||
ग्रामात् मध्ये दुर्गामन्दिर दक्षिण्यं च हनुमतलालः |
पश्चिमेसु पुनः शिवालयमेकं स्वग्रामाय नमामः ||
उत्तरस्यां यस्य देवतात्मा
तरकुलवा बाबाऽति नामम् |
रविरश्मिवत् भारतभूमि भुशित,
वन्दे वयं नित्यमं मातृभूमिम् |
~ रवि शंकर मिश्र .
भगवती भारती की कृपा से कुछ पंक्तियां लिख गयीं, जिन्हें मै सविनय समस्त ग्रामवासियों को समर्पित करता हूँ | यह कविता सन 2015 में होली के दिन रची गई अतः होली के वसंतकालीन समय का मनोरम वर्णन प्रस्तुत करती है | पल्लव - लसिता निबिड़ - बनाली हमारे बचपन के दिनों की मधुर स्मृति है | यह अत्यंत खेद का विषय है कि, वर्तमान में यह निबिड़ बनाली निःशेष होती जा रही है | आशा है कि यह ग्राम्य गीतम् ग्रामवासियों को अच्छा लगेगा |
करईलेषु वर पावन क्षेत्रं भासित सुखडेहरी ग्रामम् ||
करईल की प्यारी धरती पर एक सुखडेहरी गाँव है |
( इस पंक्ति के लिए मै कनिष्ट पितृव्य श्री दीपक कुमार मिश्र का आभारी हूँ | )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी शालीन और रचनात्मक प्रतिक्रिया मेरे लिए पथप्रदर्शक का काम करेगी। अग्रिम धन्यवाद!